पेठा के लिए कच्चा माल हालांकि आगरा में नहीं मिलता है। पुरानी कहानियों के मुताबिक,17वीं सदी में ताजमहल के निर्माण के दौरान मजदूरों और कारीगरों को पेठा खिलाया जाता था, जिससे उन्हें भरपूर ऊर्जा मिलती थी।हाल के वर्षो में पेठा बनाने वालों में इसके साथ कई प्रयोग किए हैं और विभिन्न आकार, प्रकार और रंग के पेठे इजाद किए गए हैं।
http://taazakhabarnews.in/आगरा-में-कई-पेठा-इकाई-बंद/
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