Monday, April 13, 2015

दूसरे के ‘मन की बात’ भी सुनिए मोदीजी!

मेरी इस कातरवाणी को सुनकर नारदजी का क्रोध कुछ शांत हुआ। मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बोले, ‘तू ठीक कहता है हरिओम! मगर देश के कर्णधार इस बात को क्यों नहीं समझते? क्यों किसानों को केवल अपने ‘मन की बात’ सुनाना चाहते हैं। एक तो बेचारे किसान ऊपर वाले की मार से परेशान हैं।


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